Sunday 14 August 2016

बंटवारे की पृष्ठ भूमि में लिखी गर्इं कुछ बेमिसाल साहित्यिक किताबें...

देश ने बंटवारे का दर्द 1947 में सहा लेकिन इसके घाव अब तक नहीं भरे।  वैसे विभाजन किसी देश की भूमि का ही नहीं होता, विभाजन लोगों की भावनाओं का भी होता है, अपनों का भी होता है और प्यार का भी होता है। विभाजन का दर्द वो ही अच्छी तरह जानते हैं, जिन्होंने प्रत्यक्ष रूप से इसको सहा है। बंटवारे के दौरान जिन्हें अपना घर-बार छोड़ना पड़ा, अपनों को खोना पड़ा...यह दर्द आज भी उन्हें सालता रहता है। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दर्द को लेकर कई किताबें लिखी गर्इं, जिसमें से कई किताबे तो इतिहास बन गर्इं।  इन्हीं किताबों में से कुछ ऐसी भी किताबें हैं जो दर्द के साथ-साथ प्यार को लेकर भी लिखी गई। इन्हीं कुछ किताबों में से हम चुनिंदा किताबों को लेकर आए हैं जो इतिहास, दर्द, भावना और प्यार समेटे हुए है। 

पाकिस्तान मेल (Pakistan Mail )
लेखक : खुशवंत सिंह 
प्रकाशन : 1956
भारत-विभाजन की त्रासदी पर केंद्रित पाकिस्तान मेल (ट्रेन टू पाकिस्तान) सुप्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकार खुशवंत सिंह का अत्यंत मूल्यवान उपन्यास है। सन 1956 में प्रकाशित और उसी साल अमेरिका के ग्रोव प्रेस एवार्ड से पुरस्कृत यह उपन्यास मूलत: उस अटूट लेखकीय विश्वास का नतीजा है, जिसके अनुसार अंतत: मनुष्यता ही अपने बलिदानों में जीवित रहती है। घटनाक्रम की दृष्टि से देखें तो 1947 का भयावह पंजाब। चारों ओर हजारों-हजार बेघर-बार भटकते लोगों का चीत्कार। तन-मन पर होनेवाले बेहिसाब बलात्कार और सामूहिक हत्याएं। लेकिन मजहबी वहशत का वह तूफान मनो-माजरा नामक एक गांव को देर तक नहीं छू पाया और जब छुआ भी तो उसके विनाशकारी परिणाम को इमामबख्श की बेटी के प्रति जग्गा के बलिदानी प्रेम ने उलट दिया। उपन्यास के कथाक्रम को एक मानवीय उत्स तक लाने में लेखक ने जिस सजगता का परिचय दिया है, उससे न सिर्फ उस विभीषिका के पीछे क्रियाशील राजनीतिक और प्रशासनिक विरूपताओं का उद्घाटन होता है, बल्कि मानव-चरित्र से जुड़ी अच्छाई-बुराई की परंपरागत अवधारणाएँ भी खंडित हो जाती हैं। इसके साथ ही उसने धर्म के मानव-विरोधी फलसफे और सामाजिक बदलाव से प्रतिबद्ध बौद्धिक छदम को भी उघाड़ा है। संक्षेप में कहें तो अंग्रेजी में लिखा गया खुशवंत सिंह का यह उपन्यास भारत-विभाजन को एक गहरे मानवीय संकट के रूप में चित्रित करता है।


पिंजर
लेखक : अमृता प्रीतम  ( AMRITA PRITAM)
प्रकाशन : 1950
इस किताब की पूरी भूमिका विभाजन पर टिकी है, वैसे ये मुख्तय पंजाबी भाषा में लिखी गई थी, लेकिन खुशवंत सिंह ने इसका अनुवाद हिंदी में किया। ये उपन्यास एक हिंदू लड़की पूरो और मुस्लिम लड़के राशिद की प्रेम कहानी है। पिंजर की कथा-नायिका पूरो इस कसौटी पर बिल्कुल खरी उतरती है। वह स्वयं शोषित है किंतु न केवल स्वयं को संभालती है बल्कि अपने जैसे कई शोषितों का सहारा भी बनती है, उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है। किताब भले भारत-पाक विभाजन की त्रासदी पर आधारित है किंतु इसके माध्यम से लेखिका ने स्त्रियों पर हुए अत्याचार, अन्याय एवं शोषण की ही दास्तान बयां की है जिसमें कथा-नायिका पूरो एक सशक्त नारी के रूप में प्रस्तुत है। यह वह उपन्यास है, जो दुनिया की आठ भाषाओं में प्रकाशित हुआ है और जिसकी कहानी भारत के विभाजन की उस व्यथा को लिए हुए है, जो इतिहास की वेदना भी है और चेतना भी। इस पर एक फिल्म भी बन चुकी है। इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। 

तमस (Tamas)
लेखक : भीष्म साहनी
प्रकाशन : 1974
भारत में विभाजन से सात दिन पहले की एक काल्पनिक-सी घटना जो बिल्कुल सच्ची प्रतीत होती है। तमस की कथा परिधि में अप्रैल 1947 के समय में पंजाब के जिले को परिवेश के रूप में लिया गया है। तमस कुल पांच दिनों की कहानी को लेकर बुना गया उपन्यास है। परंतु कथा में जो प्रसंग संदर्भ और निष्कर्ष उभरते हैं, उससे यह पांच दिवस की कथा न होकर बीसवीं सदी के हिंदुस्तान के अब तक के लगभग सौ वर्षों की कथा हो जाती है। यों संपूर्ण कथावस्तु दो खंडों में विभाजित है। पहले खंड में कुल तेरह प्रकरण हैं। दूसरा खंड गांव पर केंद्रित है। तमस उपन्यास का रचनात्मक संगठन कलात्मक संधान की दृष्टि से प्रशंसनीय है। इसमें प्रयुक्त संवाद और नाटकीय तत्व प्रभावकारी हैं। भाषा हिन्दी, उर्दू, पंजाबी एवं अंग्रेजी के मिश्रित रूप वाली है। भाषायी अनुशासन कथ्य के प्रभाव को गहराता है। साथ ही कथ्य के अनुरूप वर्णनात्मक, मनोविशेषणात्मक एवं विशेषणात्मक शैली का प्रयोग सर्जक के शिल्प कौशल को उजागर करता है। तमस भीष्म साहनी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। वे इस उपन्यास से साहित्य जगत में बहुत लोकप्रिय हुए थे। तमस को 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इस पर 1986 में गोविंद निहलानी ने दूरदर्शन धारावाहिक तथा एक फिल्म भी बनाई थी।
कितने पाकिस्तान
लेखक : कमलेश्वर (Kamleshwar)
प्रकाशन : 2000
कमलेश्वर का यह उपन्यास मानवता के दरवाजे पर इतिहास और समय की एक दस्तक है। इस उम्मीद के साथ कि भारत ही नहीं, दुनिया भर में एक के बाद दूसरे पाकिस्तान बनाने की लहू से लथपथ यह परम्परा अब खत्म हो। यह उपन्यास कमलेश्वर के मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता है। हिंदी के तमाम उपन्यासकारों की श्रेणी में युगचेता कथाकार कमलेश्वर का उपन्यास कितने पाकिस्तान समकालीन उपन्यास जगत में मील का पत्थर साबित हुआ है। इस उपन्यास ने हिंदी कथा साहित्य तथा साहित्यकारों को वैश्विक रूप प्रदान किया। कमलेश्वर ने उपन्यास के बने बनाए ढांचे को तोड़ कर लेखकीय अभिव्यक्ति के लिए दूर्लभ द्वार खोलकर एक नया रास्ता दिखाया। इस रचना में लेखक ने इतिहास और भूगोल की सीमाओं को तोड़ने का प्रयास कर मनुष्य की वास्तविक समस्याओं एवं चिंताओं को सामने रखने का सफल प्रयास किया है। इस पुस्तक के प्रथम संस्करण की भूमिका में कमलेश्वर ने लिखा है कि मेरी दो मजबूरियां भी इसके लेखन से जुड़ी है। एक तो यह कि कोई नायक या महानायक सामने नहीं था, इसलिए मुझे समय को ही नायक, महानायक और खलनायक बनाना पड़ा। इस उपन्यास ने आज के टूटते मानवीय मूल्यों को सँजोने तथा दहशत की जिंदगी में मानवता की खोज की है। ये एक ऐसा उपन्यास है, जिसमें तथ्यों को काल्पनिकता के धागे में पीरो कर कमेलश्वर ने एक सर्जनात्मक कहानी लिखी है। 2003 में उन्हें इस उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ये उपन्यास हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है।

Saturday 23 July 2016

गुलजार का फिल्मी साहित्य ‘मंजरनामा’ शैली में

गुलजार बॉलीवुड में वह नाम है जिन्होंने 6 दशक से अपने गीत, शायरी, लेखन और निर्देशन से फिल्मी जगत के साथ-साथ साहित्य को भी गुलजार करते आए हैं। उनकी जितनी भी तारिफ की जाए वह कम है। उनके बारे में फिल्म और साहित्य से लगाव की ऐसी भी व्याख्या की जा सकती है। जैसे- गुलजार एक मशहूर शायर हैं जो फिल्में बनाते हैं। गुलजार एक अप्रतिम फिल्मकार हैं जो कविताएं लिखते हैं। गुलजार ऐसे गीतकार हैं जो किताब भी लिखते हैं। गुलजार ऐसे लेखक हैं जो फिल्म भी लिखते हैं।  गुलजार ने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत बिमल राय के सहायक निर्देशक के रूप में शुरू किया। फिल्मों की दुनिया में उनकी कविताई इस तरह चली कि हर कोई गुनगुना उठा। अनूठे संवाद, अविस्मरणीय पटकथाएं, आसपास की जिन्दगी के लम्हे उठाती मुग्धकारी फिल्में। परिचय, आंधी, मौसम, किनारा, खुशबू, नमकीन, अंगूर, इजाजत—हर एक अपने में अलग। उन्होंने कई किताबें लिखीं। चौरस रात और रावी पार में कहानियां हैं तो गीली मिटटी एक उपन्यास। कुछ नज्में, साइलेंसेस, पुखराज, चांद पुखराज का, आॅटम मून, त्रिवेणी वगैरह में कई यादगार कविताएं लिखी हैं। गुलजार बच्चों से बहुत प्रेम करते हैं। बहुलोकप्रिय गीतों के अलावा ढेरों प्यारी-प्यारी किताबें लिखीं जिनमें कई खंडों वाली बोसकी का पंचतंत्र भी है। यह तो गुलजार की बात हो गई। 

क्या है मंजरनामा
हाल ही में राजकमल प्रकाशन समूह ने गुलजार के फिल्मों को लेकर एक श्रृंखला निकाली है और उस शैली को ‘मंजरनामा’ नाम दिया है। वैसे साहित्य में ‘मंजरनामा’ एक मुक्कमिल फार्म है और यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रुकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें। प्रकाशन के अनुसार मंजरनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फार्म से रू-ब-रू हो सकें और दूसरा यह कि टी.वी. और सिनेमा में दिलचस्पी रखनेवाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंजरनामे की शक्ल दी जाती है। यहां गुलजार की तीन रचनाओं को मंजरनामा फर्म में पेश किया गया जो किसी भी आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) पर उपलब्ध है। इन किताबों की श्रृखंला www.yourbookstall.com पर उपलब्ध है यहां कम्बो पैक में भी इस सीरिज के कितबों को भारी डिस्काउंट पर बाई बुक्स आॅनलाइन (Buy books online) खरीदा जा सकते है। सबसे पहले हम बात करते हैं किनारा की। 
किनारा (Kinara)
‘किनारा’ प्यार के अंतर्द्वन्द्व की कहानी है, जो संयोगों और दुर्योगों के बीच से होकर जाती है। एक तरफ प्यार की वफादारी है जो विवंगत प्रेमी की स्मृतियों से भी दगा नहीं करना चाहती और दूसरी तरफ नए प्यार का अटूट समर्पण है जो एक दुर्घटना के गिल्ट को धोने के लिए अपना सब कुछ हारने को तैयार है, लेकिन नियति अपने लिखित को जब तक उसका एक-एक हर्फ सच न हो जाए, अंत तक उनके बीच बैठी बांचती रहती है। पीड़ा के अपने चरम पर पहुंच जाने तक। गुलजार की फिल्में इतने स्वाभाविक ढंग से फामूर्ला-मुक्त होती हैं कि हम लोग जो साहित्य में भी फामूर्लों के अभ्यस्त रहे हैं और फिल्मों में भी उनकी कथा-योजना को देख हैरान-से रह जाते हैं। फिल्म ‘किनारा’ और उसकी कहानी भी ऐसी ही है।
किताब (Kitab)
यह जिंदगी की किताब है जिसे बाबला स्कूल से बाहर शहर में, अपने दोस्त पप्पू के साथ, घर में अपने जीजा और दीदी के रिश्ते की धुप-छांव में और फिर घर से भागकर मां तक पहुंचने के अपने दिलचस्प सफर में पढता है और फिर वापस एक नए जज्बे के साथ स्कूली किताबों के पास लौटता है। फूल को चड्डी पहनाने वाले गुलजार की फिल्म ‘किताब’ का यह मंजरनामा फिर साबित करता है कि बच्चों के मनोविज्ञान को समझने में जैसी महारत उन्हें हासिल है वह दुर्लभ है, फिल्मो में भी और गुलजार के साहित्य में भी।
 

मौसम (Mausam)
मौसम एक अथाह प्रेम, प्रेम के गहरे सम्मान और शुद्ध-सुच्चे भारतीय मूल्यों में रसी-पगी गुलजार की इस फिल्म को न देखा हो ऐसे बहुत कम लोग होंगे, लेकिन मंजरनामे की शक्ल में इसे पढना बिलकुल भिन्न अनुभव है। इतने कसाव और कौशल के साथ लिखी हुई पटकथाएं निश्चित रूप से सिद्ध करती हैं कि मंजरनामा एक स्वतंत्र साहित्यिक विधा है। बार-बार देखने लायक फिल्म की बार-बार पठनीय पुस्तकीय की यह प्रस्तुति है।

Sunday 26 June 2016

Buy Books Online at Yourbooktall.com get 20% off on top 5 romantic novels of Hindi

It’s raining offers this monsoon! Yourbookstall.com the largest online bookstore in India has offered a huge discount of 20% on the five most read and evergreen romantic novels of Hindi literature.

Hindi as a language is one of the richest on this earth and Hindi literature is equally prosperous.

When it comes to love and romance writing in Hindi, no other novel has the reputation as the under mentioned five books:
Kasap By Manohar Shyam Joshi
'Kasap'-A soft and simple love story with the sweetness of Kumaoni language by Manohar Shyam Joshi.

The book is about an orphan boy who was brought up by his relatives. Like most of the orphan children who are brought up on the mercy of their relatives, he too is considered a fool, a semi-lunatic types. The beauty of the novel lies in its simplicity, in scene where the hero meets the heroine for the first time, unlike other romantic creations, this hero is in latrine!


Gunahon Ka Devta By Dharmvir Bharti

It is usual love story with a tragic ending—but its unusualness and beauty lies in the author’s ability to present it.

The story presents the influence of people of different mindset on Chandar—the hero. His surroundings are influenced by three important ladies, Sudha, Binti & Pummi. The satire is created near around Prayag (Allahabad).

The entire story revolves around Sudha and Chandar’s love. The changes in situations, depiction of Chander’s mindsets and sacrifices of Sudha make it a immortal creation.

Nadi Ke Dweep by Sachchidanand Hiranand Vatasyayan Ageye


“This novel is for those who want to meditate; it is a meditator's novel. No other novel, neither by Tolstoy nor Chekhov, can be compared to it.” This is what Osho said about Nadi Ke Dweep.

Nadi ke Dweep is about the inner consciousness. It tries to explain that a separation can teach you life in a much deeper manner than togetherness. It tries to convey the value of a life lived in deep love. The novel which is woven around three characters, Bhuvan, Rekha and Gaura teaches us that true lesson of life is in separation not fulfillment.

Mujhe Chand Chahiye By Surender Verma

The book is a story of a small town, shy and introvert girl who aspires to become the most sought after actress and passing through various struggles ultimately attains it.

Varsha Vashisht, a girl from tier 3 city Shajahanpur reaches Mumbai. Her life journey depicts struggle, indomitable spirit, sacrifices etc.

Chittkobra By Mridula Garg


Chittkobra written by Mridula Garg was in row of controversies and some people alleged it of being vulgar in depicting love making. However, the novel is a best read to under the nuances of the love. It also reflects the day to day life of our generation and how love vanishes and transforms itself into a mechanical act when faced with vagaries of life.

Wednesday 25 May 2016

Good News: Enjoy pre-monsoon discount of 40% on romance books!

Monsoon and romance are often considered synonymous to eachother and they indeed are.
Now, enjoy the romantic monsoon reading bestseller romantic novels in your balcony that too at throwaway prices!
Yourbookstall.com, the online bookstore where you can buy books online at best prices in India, is offering pre-monsoon discount on romance books. The discount ranges from 25% to 40%.
Some of the national and international bestsellers which are offfered at throwaway prices under this offer inlcude Gone with the Wind, Love Story, The Notebook, PS I Love You, The Infatuations, Love in The Time of Cholera, A Kiss Like That and other international titles.
The online bookstore has also come up with great discounts on romantic bestsellers of the country including, I too Had a love story, Our Impossible Love, Two States, Half Girlfriend, World’s Best Boy Friend, Love Happens Again, Youre trending in my dreams, etc
There is something about monsoons and love. When the thought of rains comes to our mind the images of our loved ones conjure up. Monsoons could be muddy or even spoilsport for some works but on the brighter side, they delight our romantic moods.
And it is said romance is one of the most beautiful feelings endowed upon us by god and books help us cherish and feel it more intensely, and what else can be the best way to express this feeling than books.
Read more, romance more with the pre-monsoon offer of the online bookstore! And enjoy the tickling romance with a cup of coffee and your favorite book, and of course your beloved!

Thursday 19 May 2016

Buy competition books at a flat discount of 15% at Yourbookstall.com

In a good news to the students and readers who are preparing for competitive examinations like UPSC, and other state level competitive examinations as well for those who are preparing for medical entrance (PMT) or IIT entrance tests, Yourbookstall.com is offering a flat discount of 15% on all competition books online.
Not only a flat discount but Yourbookstall.com is also offering lowest shipping prices a a nd fast deliveries on competition books.
This has been done to ensure that the students who are already facing tough competition and are left with little time, can save some time in searching books, as competition books of almost all the reputed publishers is available on our online bookstore. At the same time students can also buy books online at discounted prices.
As of now in our catalogue we are having books required for preparations of Air Force, Navy, Railways Exams as well as the IIT, PMT preparation books. We also have a vast range of SSC preparation books for almost all the examinations of the SSC. This is apart from the large collection of general knowlege books. Books for Bank PO preparation and other bank preparation books are also available.
We are increasing our catalogue of competition books on a vast scale and will soon be offering more discounts on competition books online.
Stay tuned, and buy all your competition related books at Yourbookstall.com on lowest prices.
Best of Luck
Team Yourbookstall.com

Sunday 10 April 2016

भारत में तेजी से फलता-फूलता ई-कमर्स

ब्रिटेन माइकल अलड्रीच ने 1979 में जब ई-कमर्स का कॉन्सेप्ट दिया होगा तो उसने भी नहीं सोचा होगा की पूरी दुनिया का कमर्स ई-कमर्स की ओर देखने लगेगा। देखते-देखते ई-कमर्स का बाजार इतना बड़ा हो गया है कि इसकी कल्पना माइकल अलड्रीच ने भी नहीं की होगी। ई-कमर्स की औपचरिक शुरुआत आॅनलाइन बुक्स (online books) बेचने के साथ हुई थी। आज आॅनलाइन बुक्स बेचने के साथ अपनी शुरुआत करने वाली ई-कमर्स कंपनी अमेजन बड़ी ई-कमर्स कंपनियों में से हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 4.1 अरब लोग आॅनलाइन शॉपिंग करते हैं।
           अगर 2015 की बात करें तो विश्व भर ई-कमर्स कारोबार में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई और 2,251 बिलियन डॉलर इसका टर्न ओवर रहा। वैसे अगर टॉप टेन ई-कमर्स देशों की बात करें जहां की जनता अधिकतर खरीददारी आॅनलाइन करती है तो सबसे टॉप पर चीन है। चीन में ई-कमर्स में 2015 में 35 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह 426.26 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। दूसरे स्थान पर अमेरिका है जहां पर 2015 में 15.7 फीसदी वृद्धि के साथ कारोबार 305.65 बिलियन डॉलर रहा। वहीं ब्रिटेन में ग्रोथ 16.5 रहा और कारोबार 82 बिलियन डॉलर, जापान में 14 फीसदी की वृद्धि और कारोबार 70.83 बिलियन डॉलर और जर्मनी में 22 फीसदी वृद्धि के साथ कारोबार 63.38 बिलियन का रहा। वहीं इस सूची में फ्रांस, ब्राजील,इटली, कनाडा और दक्षिण कोरिया शामिल हैं।

यह है वर्ष 2015 में विश्व के टॉप ई-कमर्स बाजार

देश                  वृद्धि कारोबार
चीन         35 फीसदी     426.26 बिलियन डॉलर 
अमेरिका 15.7 फीसदी     305.65 बिलियन डॉलर 
ब्रिटेन 16.5 फीसदी      82 बिलियन डॉलर
जापान 14 फीसदी        70.83 बिलियन डॉलर 
जर्मनी 22 फीसदी        63.38 बिलियन डॉलर 

अगर अमेजन ने आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) से विश्व भर में ई-कमर्स की औपचारिक शुरुआत की थी, वैसे ही भारत में ई-कमर्स की बड़ी कंपनी फ्लिपकार्ट ने भी आॅनलाइन बुक्स बेचकर कंपनी की शुरुआत की थी। किस्सा तो यह है कि जिस ग्राहक ने पहली किताब खरीदी वह किताब फ्लिपकार्ट के पास था ही नहीं, तो फ्लिपकार्ट ने वह किताब खरीदकर ग्राहक तक पहुंचाई थी। लेकिन आज फ्लिपकार्ट सहित स्नैपडील, अमेजॉन, ईबे, अलीबाबा सहित कई ई-कमर्स कंपनियां भारतीय बाजार पर कब्जा जमा चुकी हैं। अगर हम आंकड़े में भारत की ई-कमर्स की बात करें तो एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2009 में भारत में ई-कमर्स का बाजार मात्र 3.8 बिलियन डॉलर था जो 2015 में 23 बिलियन डॉलर(154763.43 करोड़ रुपए) का रहा और 2016 में 67 फीसदी उछाल के साथ 38 बिलियन डॉलर(255696.11 करोड़ रुपए) तक पहुंचने की उम्मीद है। साथ ही 2020 तक यह देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चार प्रतिशत का योगदान देगा। यह बात ई-कॉमर्स के बढ़ते व्यवसाय का अध्ययन करने वाली संस्था ने अपने रिपोर्ट में कही है। हाल ही में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया व केपीएमजी(क्लेनवेल्ड पीट मारविक जॉर्जलर) ने ई-कॉमर्स व्यवसाय का अध्ययन कर संयुक्त रूप से इस रिपोर्ट को जारी किया है। वहीं फॉरेस्टर रिसर्च नामक संस्था की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग आॅनलाइन खरीदारी करते हैं, जिनकी संख्या 2018 तक 12.80 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। शोध के मुताबिक भारत के कुल खुदरा बाजार में ई-कॉमर्स बाजार की हिस्सेदारी 0.4 फीसदी है। इन दोनों रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि भारत में ई-कॉमर्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। किताबों से शुरू हुआ यह सिलसिला फर्नीचर, कपड़ों, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, बीज, किराने के सामान से लेकर फल और सौंदर्य प्रसाधन तक पहुंच गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह सूची आगे और लंबी होगी। ई-कॉमर्स वेबसाइटों के जरिए की जा रही आॅन-लाइन खरीदारी शहरी आबादी के लिए आम बात हो गई है, लेकिन यह भारत की गांव-गांव में पहुंचने में समय लगेगा। इसको लेकर जहां लोग भी धीरे-धीरे तैयार हो रहे हैं वहीं इस बाजार को भुनाने की तैयारी के साथ रोज-रोज नए-नए ई-कॉमर्स पोर्टल भी खुल रहे हैं।

यह है विश्व की टॉप कंपनियां एवं उनका कारोबार

कंपनी           रेवेन्यू
अमेजॉन         88.99 बिलियन डॉलर
जेडीडॉट कॉम 18.5 बिलियन डॉलर
ईबे                 17.9 बिलियन डॉलर
वालमार्ट         13.00 बिलियन डॉलर
अलीबाबा         8.57 बिलियन डॉलर

Friday 1 April 2016

अपने अनुभवों को किताबों की शक्ल देते आज के नेता...

देश में कवि-लेखकों का नेता बनना एक परंपरा और स्वभाविक बात थी। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अभी तक कई ऐसे कवि है जो बाद में बड़े नेता बने। अगर हम तत्कालिक बात करें तो अटल बिहारी वाजपेयी इसके जिवंत उदाहरण हैं। उनकी भाषा और वाकपटुता में ही कवि की झलक दिखती थी। उनकी भाषण और कविता पर लोग तालियां बजाते नहीं थकते थे। यह वहीं समय था जब कवि-और लेखकों का नेता बनने का दौर समाप्त सा हो गया। इसके बाद एक नया दौर शुरू हुआ जिसमें किताबों के माध्यम से नेता अपने खट्टे-मीठे अनुभव, राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव की बाते लोगों तक पहुंचाने के लिए कलम का सहारा लिया। ऐसी किताबों में वह अपनी आत्मकथा, राजनीतिक यात्रा के अनुभव लिखते ही है कुछ ऐसी भी घटनाएं या संस्मरण उसमें होती हैं जिससे वह किताब चर्चा में आ जाती है। चर्चा के कारण ऐसी किताबों की डिमांड होती है और यह आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online books) से लेकर आॅफ लाइन बुक्स स्टोर तक यह किबातें खूब बिकती हैं।
                           ऐसी बात नहीं है कि लेखक नेताओं की किताब पर हंगामा न मचा हो। चाहे वह भाजपा के लौह पुरुष लालकृष्ण आडवाणी की  किताब ‘माई कंट्री, माय लाइफ’ हो या कांग्रेस के पूर्व नेता नटवर लाल की ‘वन लाइफ इज नाॅट एनफ’हो। वैसे पिछले एक-दो सालों में देखा जाए तो कांग्रेस के नेताओं की किताबें ज्यादा चर्चा में रहीं। इसमें नटवर सिंह की किताब पर खूब विवाद भी हुआ था और शशि थरूर की किताब भी काफी चर्चा में रही थी। वहीं पिछले माह महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द टर्बुलेंट ईयर्स:1980-1996’ की लाॅन्चिंग हुई।
हाल ही में यूपीए सरकार में वित मंत्री रहे कांग्रेस वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की ‘स्टैंडिंग गार्ड: ए ईयर आॅफ आॅपोजिशन’ की लाॅन्चिंग हुई। दूसरी ओर कांग्रेस के कई नेता लेखक बनने के कतार में हैं। अलग-अलग विषयों पर उन्होंने किताबें लिखनी शुरू कर दी हैं। यहां कांग्रेस पार्टी में ऐसे दो नेताओं की खूब चर्चा है, जो इन दिनों किताब लिख रहे हैं। उनमें से एक कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी हैं और दूसरे उनके राजनीतिक शिष्य मनीष तिवारी हैं। मनीष तिवारी दो किताबें लिख रहे हैं। एक किताब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दस साल के ऊपर है और दूसरी किताब भारत में राजनीतिक पार्टियों को होने वाली फंडिंग के ऊपर है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोईली को सरस्वती सम्मान मिलने की खबर सब जगह छपी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनको सम्मानित किया।
          भाजपा नेताओं की बात की जाए तो इस समय इस पार्टी के नेता भी अपनी किताबों के कारण बेहद चर्चा में रहें। सीनियर पार्टी लीडर जसवंत सिंह अपनी किताब ‘जिन्ना: इंडिया, पार्टीशन, इनडिपेनडेंश’ को लेकर काफी चर्चा में रहे और पार्टी की कार्रवाई का उन्हें सामना भी करना पड़ा। इसके अलावा पत्रकार और भाजपा के पूर्व नेता अरुण शौरी ने ऐसे तो कई किताबें लिखीं लेकिन वे अपनी किताब ‘पार्लियाट्री सिस्टम’ को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। अपने कार्यकाल को लेकर यशवंत सिन्हा ‘काॅनपफेशन्स आॅफ स्वदेशी रिफर्म: माई इयर्स एज फाइनेंस मिनिस्टर’ लिख चुके हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे भाजपा नेता है जिन्होंने अपनी किताब के माध्यम से अपनी बात रखने की कोशिश की है।
           नेताओं के लेखक बनने से समाज को और आज के युवा पीढ़ी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। क्योंकि ऐसी किताबों से राजनीतिक के उस गलियारे का पता चलता है जिस गलियारे से देश की जनता वंचित है। वैसे नेताओं द्वारा किताब लिखे जाने का सिलसिला चलना चाहिए ताकि लोगों की राजनीति की अंदरूनी बातों का भी पता चलता रहे।

Sunday 20 March 2016

Of Love And Other Demons-Between Love, Faith And Superstition



‘Of Love And Other Demons’ is a beautiful portrait of love and conflict of believing and not believing in religion. On one hand Gabriel Garcia Marquez pictures the violence and abuse heaped upon a 12-year old rabid girl Sivera Maria in the name of exorcising her. On the other hand Marquez has also beautifully penned down the subtle love of a priest for that girl.
The 12-year old girl, who has been raised by the slaves of her parents and they have inculcated some of their tribal religious practices in her, like drinking the blood of roosters before breakfast, is bitten by a rabid dog. On bitten by the dog she develops rabies, and is she presented before a number of different doctors and healers who attempt to cure her of the rabies that she does not in fact have. Eventually, the Bishop of church convinces her father that in order to save her soul she must be confined to a convent.
Thereafter church declares that she is possessed by demons and starts the exorcising of the demon. But one of the priest, Delura who is close of the Bishop and is given the task of exorcising falls in love with her.
Marquez as he is known for, has beautifully depicted all the conflicts, emotions, tussles on both the subjects be it love, desperation or the conflict of a rational mind debating between existence and non-existence of god.
Like, in one of the lines, Marquez says, ‘“Disbelief is more resistant than faith because it is sustained by the senses”—here lies the subtle sarcasm, if disbelief is sustained by senses, then what sustains faith? He leaves the readers to ponder and answer this.
Again, he says, “One never quite stops believing, some doubt remains forever", here what is doubt, it is faith (religion) or did Marquez wanted to say that religion is just a doubt? He again leaves this to the readers to decide the exact meaning of his words.
There are several lines where Marquez delivers highest levels of philosophy in one liners, like, ‘Crazy people are not crazy if one understands their reasoning’—yes of course, if you understand the reason of someone who is considered crazy, that clearly makes him normal.
Marquez also beautifully depicts the desperation of Delura’s love, in one context he says, “Do not allow me to forget you”—this line with all its simplicity can touch anyone’s heart. In another lines, Delura says, “No medicine cures what happiness cannot”, how much true the line is given to the fact of today’s fast paced life.
In all ‘Of Love And Other Demons’ – is yet another masterpiece by Gabriel Garcia Marquez and is a must read.
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Sunday 6 March 2016

Celebrate Womanhood this International Women’s Day with Yourbookstall.com



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