ब्रिटेन माइकल अलड्रीच ने 1979 में जब ई-कमर्स का कॉन्सेप्ट दिया होगा तो उसने भी नहीं सोचा होगा की पूरी दुनिया का कमर्स ई-कमर्स की ओर देखने लगेगा। देखते-देखते ई-कमर्स का बाजार इतना बड़ा हो गया है कि इसकी कल्पना माइकल अलड्रीच ने भी नहीं की होगी। ई-कमर्स की औपचरिक शुरुआत आॅनलाइन बुक्स (online books) बेचने के साथ हुई थी। आज आॅनलाइन बुक्स बेचने के साथ अपनी शुरुआत करने वाली ई-कमर्स कंपनी अमेजन बड़ी ई-कमर्स कंपनियों में से हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 4.1 अरब लोग आॅनलाइन शॉपिंग करते हैं।
अगर 2015 की बात करें तो विश्व भर ई-कमर्स कारोबार में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई और 2,251 बिलियन डॉलर इसका टर्न ओवर रहा। वैसे अगर टॉप टेन ई-कमर्स देशों की बात करें जहां की जनता अधिकतर खरीददारी आॅनलाइन करती है तो सबसे टॉप पर चीन है। चीन में ई-कमर्स में 2015 में 35 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह 426.26 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। दूसरे स्थान पर अमेरिका है जहां पर 2015 में 15.7 फीसदी वृद्धि के साथ कारोबार 305.65 बिलियन डॉलर रहा। वहीं ब्रिटेन में ग्रोथ 16.5 रहा और कारोबार 82 बिलियन डॉलर, जापान में 14 फीसदी की वृद्धि और कारोबार 70.83 बिलियन डॉलर और जर्मनी में 22 फीसदी वृद्धि के साथ कारोबार 63.38 बिलियन का रहा। वहीं इस सूची में फ्रांस, ब्राजील,इटली, कनाडा और दक्षिण कोरिया शामिल हैं।
चीन 35 फीसदी 426.26 बिलियन डॉलर
अमेरिका 15.7 फीसदी 305.65 बिलियन डॉलर
ब्रिटेन 16.5 फीसदी 82 बिलियन डॉलर
जापान 14 फीसदी 70.83 बिलियन डॉलर
जर्मनी 22 फीसदी 63.38 बिलियन डॉलर
अगर अमेजन ने आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) से विश्व भर में ई-कमर्स की औपचारिक शुरुआत की थी, वैसे ही भारत में ई-कमर्स की बड़ी कंपनी फ्लिपकार्ट ने भी आॅनलाइन बुक्स बेचकर कंपनी की शुरुआत की थी। किस्सा तो यह है कि जिस ग्राहक ने पहली किताब खरीदी वह किताब फ्लिपकार्ट के पास था ही नहीं, तो फ्लिपकार्ट ने वह किताब खरीदकर ग्राहक तक पहुंचाई थी। लेकिन आज फ्लिपकार्ट सहित स्नैपडील, अमेजॉन, ईबे, अलीबाबा सहित कई ई-कमर्स कंपनियां भारतीय बाजार पर कब्जा जमा चुकी हैं। अगर हम आंकड़े में भारत की ई-कमर्स की बात करें तो एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2009 में भारत में ई-कमर्स का बाजार मात्र 3.8 बिलियन डॉलर था जो 2015 में 23 बिलियन डॉलर(154763.43 करोड़ रुपए) का रहा और 2016 में 67 फीसदी उछाल के साथ 38 बिलियन डॉलर(255696.11 करोड़ रुपए) तक पहुंचने की उम्मीद है। साथ ही 2020 तक यह देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चार प्रतिशत का योगदान देगा। यह बात ई-कॉमर्स के बढ़ते व्यवसाय का अध्ययन करने वाली संस्था ने अपने रिपोर्ट में कही है। हाल ही में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया व केपीएमजी(क्लेनवेल्ड पीट मारविक जॉर्जलर) ने ई-कॉमर्स व्यवसाय का अध्ययन कर संयुक्त रूप से इस रिपोर्ट को जारी किया है। वहीं फॉरेस्टर रिसर्च नामक संस्था की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग आॅनलाइन खरीदारी करते हैं, जिनकी संख्या 2018 तक 12.80 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। शोध के मुताबिक भारत के कुल खुदरा बाजार में ई-कॉमर्स बाजार की हिस्सेदारी 0.4 फीसदी है। इन दोनों रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि भारत में ई-कॉमर्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। किताबों से शुरू हुआ यह सिलसिला फर्नीचर, कपड़ों, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, बीज, किराने के सामान से लेकर फल और सौंदर्य प्रसाधन तक पहुंच गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह सूची आगे और लंबी होगी। ई-कॉमर्स वेबसाइटों के जरिए की जा रही आॅन-लाइन खरीदारी शहरी आबादी के लिए आम बात हो गई है, लेकिन यह भारत की गांव-गांव में पहुंचने में समय लगेगा। इसको लेकर जहां लोग भी धीरे-धीरे तैयार हो रहे हैं वहीं इस बाजार को भुनाने की तैयारी के साथ रोज-रोज नए-नए ई-कॉमर्स पोर्टल भी खुल रहे हैं।
अमेजॉन 88.99 बिलियन डॉलर
जेडीडॉट कॉम 18.5 बिलियन डॉलर
ईबे 17.9 बिलियन डॉलर
वालमार्ट 13.00 बिलियन डॉलर
अलीबाबा 8.57 बिलियन डॉलर
यह है वर्ष 2015 में विश्व के टॉप ई-कमर्स बाजार
देश वृद्धि कारोबारचीन 35 फीसदी 426.26 बिलियन डॉलर
अमेरिका 15.7 फीसदी 305.65 बिलियन डॉलर
ब्रिटेन 16.5 फीसदी 82 बिलियन डॉलर
जापान 14 फीसदी 70.83 बिलियन डॉलर
जर्मनी 22 फीसदी 63.38 बिलियन डॉलर
अगर अमेजन ने आॅनलाइन बुक्स स्टोर (online bookstore) से विश्व भर में ई-कमर्स की औपचारिक शुरुआत की थी, वैसे ही भारत में ई-कमर्स की बड़ी कंपनी फ्लिपकार्ट ने भी आॅनलाइन बुक्स बेचकर कंपनी की शुरुआत की थी। किस्सा तो यह है कि जिस ग्राहक ने पहली किताब खरीदी वह किताब फ्लिपकार्ट के पास था ही नहीं, तो फ्लिपकार्ट ने वह किताब खरीदकर ग्राहक तक पहुंचाई थी। लेकिन आज फ्लिपकार्ट सहित स्नैपडील, अमेजॉन, ईबे, अलीबाबा सहित कई ई-कमर्स कंपनियां भारतीय बाजार पर कब्जा जमा चुकी हैं। अगर हम आंकड़े में भारत की ई-कमर्स की बात करें तो एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2009 में भारत में ई-कमर्स का बाजार मात्र 3.8 बिलियन डॉलर था जो 2015 में 23 बिलियन डॉलर(154763.43 करोड़ रुपए) का रहा और 2016 में 67 फीसदी उछाल के साथ 38 बिलियन डॉलर(255696.11 करोड़ रुपए) तक पहुंचने की उम्मीद है। साथ ही 2020 तक यह देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चार प्रतिशत का योगदान देगा। यह बात ई-कॉमर्स के बढ़ते व्यवसाय का अध्ययन करने वाली संस्था ने अपने रिपोर्ट में कही है। हाल ही में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया व केपीएमजी(क्लेनवेल्ड पीट मारविक जॉर्जलर) ने ई-कॉमर्स व्यवसाय का अध्ययन कर संयुक्त रूप से इस रिपोर्ट को जारी किया है। वहीं फॉरेस्टर रिसर्च नामक संस्था की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग आॅनलाइन खरीदारी करते हैं, जिनकी संख्या 2018 तक 12.80 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। शोध के मुताबिक भारत के कुल खुदरा बाजार में ई-कॉमर्स बाजार की हिस्सेदारी 0.4 फीसदी है। इन दोनों रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि भारत में ई-कॉमर्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। किताबों से शुरू हुआ यह सिलसिला फर्नीचर, कपड़ों, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, बीज, किराने के सामान से लेकर फल और सौंदर्य प्रसाधन तक पहुंच गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह सूची आगे और लंबी होगी। ई-कॉमर्स वेबसाइटों के जरिए की जा रही आॅन-लाइन खरीदारी शहरी आबादी के लिए आम बात हो गई है, लेकिन यह भारत की गांव-गांव में पहुंचने में समय लगेगा। इसको लेकर जहां लोग भी धीरे-धीरे तैयार हो रहे हैं वहीं इस बाजार को भुनाने की तैयारी के साथ रोज-रोज नए-नए ई-कॉमर्स पोर्टल भी खुल रहे हैं।
यह है विश्व की टॉप कंपनियां एवं उनका कारोबार
कंपनी रेवेन्यूअमेजॉन 88.99 बिलियन डॉलर
जेडीडॉट कॉम 18.5 बिलियन डॉलर
ईबे 17.9 बिलियन डॉलर
वालमार्ट 13.00 बिलियन डॉलर
अलीबाबा 8.57 बिलियन डॉलर